शनिवार, 4 फ़रवरी 2012

16. जो है गन्दी गली के भीतर


16-

जो है गन्दी गली के भीतर 
 खबर नहीं जिसकी लेता मेहतर 
उनके दम पर खड़े रहें 
आदर से बातें करें 
देना भोट एक है काम 
उस दिन कहना मेरा नाम 
भाई यह रटे रहना 
भूलेंगे नहीं रहते प्राण 
ओ हैं आदमी कितने भले 
कागज़ की एक टुकड़ी के लिए 
आये हैं ओ हाथ फैलाने 
पांच साल के बाद कुछ याद दिलाने !

सुधीर कुमार ' सवेरा '          २६-०१-१९८० 

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