रविवार, 12 फ़रवरी 2012

22. अरे वो इश्वर


22-

अरे वो इश्वर 
 मुझे प्यार आता है तुम पर 
तुम्हारे सुधर संयोजन पर 
तूं नहीं मेरी किस्मत ही मुझसे है रूठी
या मैंने ही शायद 
खुद को भुला दिया 
भोजन नहीं तो भूख नहीं 
आराम नहीं तो ऐश्वर्य नहीं 
समाधान नहीं तो चाहत नहीं 
उन्नति नहीं तो बुद्धि नहीं 
मैं चाहत का अधिकारी ही नहीं 
आज्ञां समझ कर जिए जा रहा हूँ 
तेरे दंड राशि का 
जब अपव्य हो जाएगा 
फिर खोजेगा मुझ में ही तूं 
अपने स्व का पहचान 
बस धैर्य इतनी दिए रहो 
मरते दम तक जिए रहूँ 
साध तुम्हारी पूरी करने को !

सुधीर कुमार ' सवेरा '           १८ -११-१९८० 

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