रविवार, 26 फ़रवरी 2012

33. आज के मानव को


33-

आज के मानव को 
ये क्या हो गया है उसको 
जब जरुरत पड़ी 
बाप बदल दिया 
आज का मानव 
न जाने कितनों को 
बना लिया है पिता 
जरुरत पड़ी जब 
गदहे को भी कह दिया बाप 
आज का मानव 
सच में बन कर रह गया है 
मात्र गदहे का औलाद 
 ढोता फिर रहा है 
छल , कपट , इर्ष्या , द्वेष 
धोखा और बेईमानी का भार !

सुधीर कुमार ' सवेरा '                 १०-१२-१९८३    

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