रविवार, 4 मार्च 2012

40 . सच कह के जमाने को


40-

सच कह के जमाने को
अपना मजाक उड़ाया है 
 रास्ता सही बता के जमाने को 
अपना ही आशिंयान जलाया है 
मान जमाने को दे के 
अपना बहुत अपमान कराया है 
सहिष्णुता इतनी अधिक 
चाहिए भी नहीं थी होनी  
विवेक जमाने को देनी न थी इतनी
  की कह ऐसा 

जमाने ने मुझपे ही ढ।या  है 
जमाने का रखते - रखते इज्जत 
 इज्जत अपना ही धुलवाया है 
खुद के हाथ को 
जो न थी उठने की आदत 
मौका जमाने को हाथ उठाने का दिया है 
चुप रख - रख कर खुद को 
जमाने को बोलने का मौका दिया है 
झूठ - बोल बोल कर जमाने ने 
सच पे ऐसा मुलम्मा चढ़ाया है 
की सच को छुपने के लिए 
मुखरा मेरा ही मिला है !

सुधीर कुमार ' 'सवेरा            09-12-1983   

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