बुधवार, 28 मार्च 2012

54. जिन्दगी में तुम क्या चाहते हो ?

                          54.
जिन्दगी में तुम क्या चाहते हो ?
कुछ और ही चाहते हो 
और क्या तुम पाते हो ?
चाहते पाना तुम सुख सुविधा 
फिर कैसी है तेरी ये दुविधा 
मत करो कभी ईमानदारी 
वर्ना बन जाओगे एक भिखारी 
भूल जाओगे सारी दुनियादारी 
बेईमान बनना ही होगा समझदारी 
जिन्दगी से तेरी येही होगी ईमानदारी 
दूर हो जाएगी तेरी सब गर्द सारी 
चाहेगी तुझे तब ये दुनिया सारी 
चूँकि तेरे पास होगी तब कार की सवारी 
बोलो मीठी बातें बड़ी 
करो दुनिया भर की धोखाधड़ी 
चरित्र  और आदर्श  की बातें हैं  थोथी  । 

सुधीर कुमार  ' सवेरा  ' १२ -०२ -१९८४  - 6 .40 pm. - patna
   

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