मंगलवार, 26 जून 2012

76.तुझसे जुदा होकर हमने !

76.

तुझसे जुदा होकर हमने 
ना जाने कितने गम हैं सहे 
कह नहीं सकते जुबाँ मेरे 
आँखों ने जो दर्द हैं सहे 
दिल ने जख्म जो हैं खाए 
कह क्या सकता तुझको मैं भला ?
प्यार का बस एक एहसास हैं पिए 
प्यार लिए तुझसे दूर चला 
देता है अब दर्द 
जुदाई के ये दिन 
कैसे हैं कटे 
तुझसे जुदा होकर देखो 
जीते जी कैसे हैं मरते 
हर शाम दे जाती है टीस 
जिन लम्हों के साथ जिए 
प्यार का न होता कोई रिश्ता 
रूह से बस ये एहसास करो 
बिछुर कर भी हम कैसे जीते 
फरियाद नहीं बस एहसास करते 
दूर रहो पर याद करो 
जीवन के हर पल में 
बस यही एक एहसास करो 
न आँखों से कहो 
न ओठों को खोलो 
दिल से मुझे बस प्यार करो !

सुधीर कुमार ' सवेरा ' 11-03-1984 
कोलकाता 9-00 pm 

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