शनिवार, 28 जुलाई 2012

101 . पुष्पित तेरे ये यौवन

101 .

पुष्पित तेरे ये यौवन 
मधुमास में जैसे 
खिले हों फूल 
रंग - बिरंगे 
मैं पाता हूँ 
सुख संसार वहाँ 
मेरे बाहों का हार 
हो तेरे गले में जहाँ 
सुविकसित मदमस्त नयन ये तेरे 
या मधुशाले का प्याला 
कंटीले तेरे नयनों के 
बाण नुकीले 
दिल में भड़काते हैं ज्वाला 
हा ! दिल में नहीं 
अब शांति मेरे 
होंगे न पूरे जब तक 
अपने पुरे सात फेरे 
पर तुमने देखा है कभी ?
बच्चे की ललक चाँद के लिए 
पर व्यथित ह्रदय लिए जाऊं कहाँ ?
समा ले मुझे आँचल में अपने 
सुला दे मुझे नींद में इतनी 
सुनूं न दुनिया की आवाजें 
घायल मन दुःखित ह्रदय लिए 
जाऊं कहाँ ?
असहाय हूँ इस जहाँ में 
दे के सहारा मुझको उठा दे !

सुधीर कुमार ' सवेरा '  23-02-1983

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