बुधवार, 15 अगस्त 2012

120 . उनकी गलियाँ मुझे बुला रही

१२० .

उनकी गलियाँ मुझे बुला रही
पर उनको न है इंतजार मेरा
उनकी राहें मुझे खोज रही
उनको न है अब ख्याल मेरा
लगाव जितना उनसे था मुझे
अब उनकी गलियों से हो गया है मेरा
शकुन जितना मिलता था उनसे मिलकर
अब मिलता है
उनकी गलियों से गुजरकर
वो न कर पाए मुझ से वफ़ा तो क्या हुआ
उनकी गलियाँ न कर पायी मुझसे जफ़ा
जो किया उन्होंने मुझसे जफ़ा तो क्या हुआ
उनकी गलियों ने न एहसास मेरा भुला पाया
क्या हुआ जो वो मुकर गए अपने वादों से
उनकी गलियों ने न रुख अपना बदला
गम इस बात का नहीं
की हम मंजिल पर न पहुँच पाये
गम इस बात का है
कि हम मंजिल पर पहुँच कर
रुसवा हो गए
हमने न छोड़ा मंजिल का दामन
दामन मंजिल ने अपना छुड़ा लिया
बिछुड़ना न था हमको इस कदर
जिस तरह उन्होंने हमको बिसरा दिया 
खाकर सारे वादों कसमों को
बड़ी लज्जत से सब तोड़ दिया
उनको हो न हो ख्याल मेरा
पर मुझको रहेगा सदा इंतजार !

सुधीर कुमार ' सवेरा ' 06-01-1984
चित्र गूगल के सौजन्य से

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