गुरुवार, 27 सितंबर 2012

150 . आपको मैं अपना समझूं

150 .

आपको मैं अपना समझूं 
ऐसी मेरी तक़दीर नहीं 
आपने गर समझा होगा अपना 
तो इसके लायक मैं नहीं 
समझते हैं दोनों 
एक दुसरे की बात 
पर किसी की कुछ चल सकती नहीं 
दूर रहकर भी हैं आप मेरे पास 
जैसे होता है पानी और बूंद का साथ 
आपने तो देखा मुझे हँसते हुए 
पर मेरे दर्द की आपको थाह नहीं 
मेरे वज्र जैसे दिल को भी 
पिघला दिया आपके 
वो स्नेह - सिक्त भाव 
छा गयी है दिल में 
आज की आपकी वो विह्वल तस्वीर 
उठाने के लिए अब एक टीस 
छोड़ गयी है दिल में एक नासूर 
हो गयी एक चुक 
कर सको तो कर देना माफ़ 
हो गयी हो गर कोई भूल !

सुधीर कुमार ' सवेरा ' 19-06-1980
चित्र गूगल के सौजन्य से  

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