गुरुवार, 8 नवंबर 2012

171. आज बहुत तेरी याद सतायी है

171 . 

आज बहुत तेरी याद सतायी है 
सुबह से फुहारों की झड़ी लगी है 
बिछुरने के बाद समझा 
होता है प्यार क्या ?
बिछुरन का दर्द 
दुश्मन को भी न मिले कभी 
मेरे साँसों में बसी है 
तेरे प्यार की खुशबु 
ये बाहें तरपी हैं 
गिन - गिन कर रातों को 
गुजरा है दिन 
गिन - गिन कर वादों को 
पर मैं खुश हूँ 
क्योंकि तुम खुश हो 
दूर रहकर मुझसे तो चैन हो 
अब तो न कहता होगा 
कोई भी खुशामद से 
एक मिट्ठी दो ना 
न होती होगी अब मुझ से तंग 
सोती होगी चैन की नींद 
न कोई देता होगा ताना 
न कसता होगा कोई फिकरा 
देखो ! देखो !
मैं हूँ खुश कितना 
न होता होगा अब तुम्हे 
कोई शाररिक या आत्मिक कष्ट 
बस एक ही बात 
सताता है हर बार 
प्यार किया तुझसे 
तुझे बेइंतिहा दिल बुलाता है 
जब भी भूलने की कोशिश करता हूँ 
तेरी याद सताती है !

सुधीर कुमार ' सवेरा '  24-06-1982
चित्र गूगल के सौजन्य से  

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