बुधवार, 5 दिसंबर 2012

188 . चाँद की


188 .

चाँद की 
चाँदनी को 
चाँदी की 
कटोरी में लेकर 
चमक उसका देखा 
फिर भी 
आपकी सूरत 
की चमक से 
था ओ फीका 
भला कैसे न हो 
ये भी चमक
तो उसने 
आपसे ही है पाया 
आपके न रहने पर 
यही शांत , क्लांत , म्लान चाँदनी 
मेरे जीवन के बुझे दिए को 
चमक अपनी अपनी देगा !

सुधीर कुमार ' सवेरा ' 09-02-1980
चित्र गूगल के सौजन्य