मंगलवार, 8 जनवरी 2013

206 . बार - बार निकालता हूँ दिल से तेरा ख्याल


206 .

बार - बार निकालता हूँ दिल से तेरा ख्याल 
याद आ जाते हैं पर तेरे वो गुलाबी गाल 
किसी भी तरह से दिल पाता नहीं है चैन 
याद आ जाते हैं तेरे वो कजरारे नैन 
याद आ जाते हैं तेरे गेशुओं की छाँव 
हरे हो जाते हैं दिल के घाव 
बेवफा ही बनना था तो वफ़ा क्यों किया 
जुदाई का ज़हर ही देना था तो प्यार क्यों किया !

सुधीर कुमार ' सवेरा '  22-04-1980
चित्र गूगल के सौजन्य से  

कोई टिप्पणी नहीं: