बुधवार, 3 अप्रैल 2013

244 . मैं आऊंगा



२ ४ ४ .
मैं आऊंगा 
पुनः पुनः आऊंगा 
नित नूतन रूप धड़कर 
नए नाम से 
नए परिचय के साथ 
नए रूप में आऊंगा 
बस तुम याद रखना 
नए रूप में 
मुझे पहचान लेना 
प्यार अपना 
तूँ मत कम करना 
खिंच मुझे लायेगा 
कहीं भी गर जाऊँगा 
बार - बार 
तेरे ही दर पर आऊंगा 
दर मुझे तेरा 
सदा याद रहेगा 
जिस दरवाजे पर 
निर्मेष नेत्रों से 
जो बाट देख रहा होगा 
आँचल जिसका 
मेरे बिना सुना होगा 
बस दर वही मेरा होगा 
कदम मेरे 
वहीं जायेंगे 
जहाँ रूह में 
कंपन शेष होगा !

सुधीर कुमार " सवेरा "    २ १ - ० ३ - १ ९ ८ ४ 
१ ० - १ ४ pm कोलकाता से समस्तीपुर 

243 . जो पत्तियों एवं साखों पर ही



२ ४ ३ .

जो पत्तियों एवं साखों पर ही 
तर्क - वितर्क करते रह जाते 
वो मूल तक नहीं पहुँच पाते हैं 
जो समुद्र किनारे बैठकर 
केवल समुद्र के गहराई के बारे में ही 
सोंचते रह जाते हैं 
वो मोती नहीं खोज पाते हैं 
दिल पाए जो अमृत रस उसे संगीत कहते हैं 
लहर लाये जो अंतर में उसी को गीत कहते हैं !

सुधीर कुमार " सवेरा " १ ४ - ० ३ - १ ९ ८ ४ 
१ ० - ० ० pm कोलकाता से समस्तीपुर 

242 . धर्म का आचरण करो



२ ४ २  .

धर्म का आचरण करो 
पर कटुता न आने दो 
आस्तिक रहो 
पर दुसरे के साथ प्रेम का वर्ताव न छोड़ो 
क्रूरता का आश्रय लिए बिना ही 
अर्थ संग्रह करो 
मर्यादा का अतिक्रमण किये बिना ही 
विषयों को भोगो 
दीनता को न लाते हुए ही 
प्रिय भाषण करो 
शूरवीर बनो 
पर बढ़ चढ़ कर बातें न करो 
दान करो 
पर अपात्र को न दो 
स्पष्ट ब्यवहार करो 
पर कठोरता न आने दो 
दुष्टों के साथ 
मेल मत करो 
बंधुओं से 
कभी कलह मत ठानो 
जो विश्वासी न हो 
उससे काम मत लो 
किसी को कष्ट पहुंचाए बिना ही 
अपना कर्म करो 
दुष्टों से अपनी बात 
कभी मत कहो 
अपने गुणों का वर्णन 
कभी मत करो 
साधुओं का धन 
मत छीनो 
नीचों का आश्रय 
कभी मत लो 
अच्छी तरह जाने बिना 
किसी को दंड मत दो 
गुप्त मंत्रणा को 
कभी प्रकट मत करो 
लोभियों को 
धन मत दो 
किसी से इर्ष्या न करो 
स्त्रियों की रक्षा करो 
क्रुद्ध रहो पर 
किसी से घृणा मत करो 
स्त्रियों का बहुत अधिक 
सेवन मत करो 
स्वादिष्ट होने पर भी 
अहितकारी मत खाओ 
निरभिमान हो कर 
माननीयों का आदर करो 
गुरु की सेवा 
निष्कपट भाव से करो 
दम्भहिन हो कर ही 
देव पूजन किया करो 
अनिंदित उपाय से ही 
लक्ष्मी प्राप्त करो 
स्नेहपूर्वक ही 
बड़ों की सेवा करो 
कार्यकुशल हो 
पर अवसर का विचार रखो 
पिंड छुड़ाने के लिए 
किसी से चिकनी चुपड़ी बातें न करो 
कृपा करो 
पर आक्षेप मत करो 
बिना जाने 
प्रहार मत करो 
शत्रुओं को मारकर 
शोक न करो 
अकस्मात कभी भी 
क्रोध मत करो 
जिसने अपकार किया हो 
उससे कोमलता का वर्ताव मत करो !

सुधीर कुमार " सवेरा "        १ २ - ० ६ - १ ९ ८ ४ 
० १ - ४ २ pm 

241 , हम जैसे इन्सान सोंचो को ही भोगते हैं



२ ४ १  .

हम जैसे इन्सान सोंचो को ही भोगते हैं 
भोग को भोगना सपनो की बात है 
चूँकि आदर्श ही हमारी आत्मा को तृप्त करती है 
अतः पेट अन्न से खाली रहता है 
खुद पे विश्वास है सबों पे विश्वास कर लेते हैं 
परिणामस्वरूप केवल विश्वासघात ही पाते हैं 

सुधीर कुमार " सवेरा "  १ ८ - ० ३ - १ ९ ८ ४ 
० ८ - ४ ०  pm कोलकाता से समस्तीपुर 

मंगलवार, 2 अप्रैल 2013

240 . कह के तुझे कि हम हैं तेरे




२ ४ ० .

कह के तुझे कि हम हैं तेरे 
दिल कभी भूलेंगे नहीं प्यार को तेरे 
जिन्दगी को भी भुला कर तुझसे प्यार किया 
हर जख्मो को सिने से लगा तुझसे वफ़ा किया 
क्या मालुम था मुक्कदर को ये मंजूर होगा 
इतना चाहकर भी प्यार मेरा जुदा होगा 
वो मेरे अतीत के जख्म हैं मैं उनके अतीत का दर्द 
उनके वादे मेरे जीवन के बन गए मर्ज  
उन्होंने जफा किया मेरी तक़दीर ही हो गयी सर्द 
उनके प्यार में मैं तो भूल गया हर नियम और फर्ज 
उनसे बिछुड़ने के बाद 
हर साँस है मेरे जीवन पर एक कर्ज 
वो सितमगर तूँ रह महफूज 
ताकि कर सकूँ कभी कुछ अर्ज 
दिल के हर पन्ने में 
तेरा ही नाम हो गया है दर्ज 
सुना लगता है तेरे बिना दुनियां का हर शब्ज 
बस एक बार मिल लूँ उनसे बस 
यही मेरी दिली चाह है 
खुदा न करे मिल भी न पाऊं 
और बंद हो जाए मेरी नब्ज 
मैं तुझसे प्यार करके अमर हो गया हूँ 
क्योंकि आशिक कभी मरते नहीं 
जिन्दे ही दफनाये जाते है 
यकीं न हो तो कब्र में जाकर देख लो 
वो इन्तजार में ही पाए जाते हैं 
मरकर तो एकबार ही जलता है 
जलने का तब एहसास भी न होता 
पर तुझसे दिल लगा कर 
खुद को जिन्दा जला रहा हूँ 
तेरी ही याद में हर पल 
चिंता की चीता पर हर पल जल रहा हूँ !

सुधीर कुमार " सवेरा "   १ ५ - ० ५ - १ ९ ८ ४