मंगलवार, 2 अप्रैल 2013

240 . कह के तुझे कि हम हैं तेरे




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कह के तुझे कि हम हैं तेरे 
दिल कभी भूलेंगे नहीं प्यार को तेरे 
जिन्दगी को भी भुला कर तुझसे प्यार किया 
हर जख्मो को सिने से लगा तुझसे वफ़ा किया 
क्या मालुम था मुक्कदर को ये मंजूर होगा 
इतना चाहकर भी प्यार मेरा जुदा होगा 
वो मेरे अतीत के जख्म हैं मैं उनके अतीत का दर्द 
उनके वादे मेरे जीवन के बन गए मर्ज  
उन्होंने जफा किया मेरी तक़दीर ही हो गयी सर्द 
उनके प्यार में मैं तो भूल गया हर नियम और फर्ज 
उनसे बिछुड़ने के बाद 
हर साँस है मेरे जीवन पर एक कर्ज 
वो सितमगर तूँ रह महफूज 
ताकि कर सकूँ कभी कुछ अर्ज 
दिल के हर पन्ने में 
तेरा ही नाम हो गया है दर्ज 
सुना लगता है तेरे बिना दुनियां का हर शब्ज 
बस एक बार मिल लूँ उनसे बस 
यही मेरी दिली चाह है 
खुदा न करे मिल भी न पाऊं 
और बंद हो जाए मेरी नब्ज 
मैं तुझसे प्यार करके अमर हो गया हूँ 
क्योंकि आशिक कभी मरते नहीं 
जिन्दे ही दफनाये जाते है 
यकीं न हो तो कब्र में जाकर देख लो 
वो इन्तजार में ही पाए जाते हैं 
मरकर तो एकबार ही जलता है 
जलने का तब एहसास भी न होता 
पर तुझसे दिल लगा कर 
खुद को जिन्दा जला रहा हूँ 
तेरी ही याद में हर पल 
चिंता की चीता पर हर पल जल रहा हूँ !

सुधीर कुमार " सवेरा "   १ ५ - ० ५ - १ ९ ८ ४ 

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