मंगलवार, 28 मई 2013

256 . मोडदार कोमल पगडण्डीयां


२ ५ ६ .

मोडदार कोमल पगडण्डीयां
सुराहीदार घुमड़दाड़ सीढियाँ 
खांचेदार 
खजुराहो की 
विभिन्न मुद्रा 
तप्त - तप्त आँखें और और अदायें 
लाल दल पत्र खिले 
मंद - मंद विहंस रहे 
हाथ बांध हैं खड़े 
सबकुछ होकर भी पास - पास 
सदियों से अंक में भरे हैं 
अनबुझी अतृप्त प्यास !

सुधीर कुमार ' सवेरा ' १ ९ - ० ४ - १ ९ ८ ४ 
२ - ३ ० pm 

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