रविवार, 23 जून 2013

268 . जलते अलाव से

                          ( उज्जवल सुमित  )

२ ६ ८ .

जलते अलाव से 
निकलती चिंगारियां 
वन के जड़ से 
कटती मिटटी 
उल्लू की चीख से 
गूंजती अमराईयाँ 
बोझिल पलकों पे 
उनिन्दे सपने
कफ़न के बिना 
जलती चिताओं का दाह 
पेट में उठती मरोड़ 
सांसों में बसती क्षुदा की आह !

सुधीर कुमार ' सवेरा '
१ ८ - ० ५ - १ ९ ८ ४ 
१ २ - ० ० am  

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