बुधवार, 7 अगस्त 2013

275 . चारों ओर व्याप्त भूमंडल पर


२७५.

चारों ओर व्याप्त भूमंडल पर 
आत्मा सबों की मुमूर्ष हैं 
अकोविद बांचता ज्ञान धर्म 
सबको घेड़े प्रचंड व्याधि 
मेरा - मेरा सब चिल्लाये 
मेरा क्या ? जाने ना कोई 
हो सभी पथ भ्रष्ट 
करते आलोकित पथ 
हो गयी विवेक शून्य 
यह वसुंधरा 
हो सोमवती 
गिरा अपना वज्रदंड 
दूर हो ये तमस्कांड !

सुधीर कुमार ' सवेरा ' २७ - ०४ - १९८४ 
१० - ३९ am  कोलकाता 

कोई टिप्पणी नहीं: