शुक्रवार, 9 अगस्त 2013

289 . यहाँ किसी को भी इश्के आरजू न मिला !


२८९.

यहाँ किसी को भी इश्के आरजू न मिला !
किसी को हम मिले और हमको तूं न मिला !!

दिल ने चाहा था उनको इस कदर कभी !
कि दिल से उनकी याद आज तक न गयी !!

और क्या देखने को बाँकी रहा !
दिल लगा कर आप से सब देख लिया !!

दोस्त जो बना रहता वो या रब क्या होता !
दुश्मनी पे भी उनके प्यार मुझको है आता !!

हमने देखा कुछ रात गए कुछ रात रहे !
हर पर्दानशीनों को निकलते हुए !!

रात ऐसी नींद नहीं कहानी बनी !
हाय क्या चीज है जवानी भी !!

सुधीर कुमार ' सवेरा ' १९ - ०६ - १९८४ 

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