गुरुवार, 31 जनवरी 2013

217 . IN LOVING YOU .


                                    217 .


IN LOVING YOU .

HELLO MISS ,
PLEASE , PLEASE ONE KISS,
IT IS GOD’S WISH ,
PLEASE , PLEASE DON’T MISS ,
YOUR VALVETY THIGH ,
GIVE ME EXITE ,
HOW NICE ,
PETALS LIKE LIPS ,
PLEASE , PLEASE ONE KISS,
SEE TO YOUR MOUNT EVEREST ,
SPOON & SPINES HAS BEEN FELT AAY ,
NOW HAS BEEN FELT MY BREAK ,
PLEASE , PLEASE JUST OPEN YOUR GATE ,
O MY DEAREST ,
I WANT YOUR NEAREST ,
KEEP SAITH ,
I AM TOTALLY HONEST ,
HOW MUCH SEXY NOSE ,
STOP , STOP ,
IT IS A FANTASTIC POSE .

Sudhir kumar ' Savera " 
14-04-80.

216 . SPEAKING ONLY RAM , RAM , RAM ,


                                     216 .



REALITY .

SPEAKING ONLY RAM , RAM , RAM ,
RASE’S POEM
SAITH WHOM ,
WHO DON’T KNOW ,
I AM WHO ,
HE ALWAYS SAID ,
IN CRIDED SOUND ,
ALL THING IS FANTUM ,
IN OUR LIFE ,
SO MUCH SPINES ,
ONLY OUR HEART IS PIOUS ,
LIFE ROSE FLOWERS
ALSO IT IS A LESSION ,
OF OUR BUDH & GAUTAM ,
BUT WE FORGET ,
WHAT IS OUR TARGET ,
LIFE IS NOT ONLY ROMANCE & CHEAT ,
PLEASE MOVE A BIT FROM IT ,
OTHERWISE WHO IS ?
WHO CAN SAVE YOU ?
FROM INSTILLING IN HAIL ,
AT LAST ,
ONE WORD COMES OUT ,
FROM YOUR MOUTH ,
WHICH IS ETERNAL TRUTH ,
THAT IS RAM , RAM , RAM …………………………….
Sudhir kumar ' Savera '
15.04.80.

215 .MY EVERY BREATH ,


                                   215 .


MY EVERY BREATH ,
ONLY YOUR NAME SAITH ,
I AM ONLY DUE TO YOU ,
ON GOD I HAVE NO FAITH .

Sudhir kumar ' Savera '

बुधवार, 30 जनवरी 2013

गुरुवार, 24 जनवरी 2013

213 . Her aspects


213.

Her aspects
One thing 
After all 
Draged me
That is 
Your aspects 
A part of 
Strong nature 
Yes are you
And so after all
I love you !

Sudhir Kumar ' Savera '  20-04-1980  

बुधवार, 23 जनवरी 2013

212 . Beauty like Rose


212 .

Beauty like Rose 
Light like coplete Moon 
Deep like See 
Echo of valley 
All thing with you do tally 
There will be 
Any border line for endure 
Wait for you
Now I get loss
Now I have been bound a stone 
With one pious Heart 
But at any cost 
I do not get 
A small quantity of patience 
I have a negligible demand 
Only one chance cure my Heart's wound 
If it will be illegal 
I will redumption 
But only one chance 
You tell me 
I love you ! 

Sudhir kumar " Savera '   25-04-1980      

रविवार, 13 जनवरी 2013

211 . Waiting waiting sharp waiting


211 .

Waiting waiting sharp waiting
Waiting for your fleshy parts
Waiting for your burning lips
Waiting for you hot arms 
Waiting for your marble thigh 
Waiting for your curious finger tips
Waiting for your lotus eyes 
Waiting for your thirsty embrace 
Waiting for your bulbous cheek
In every day & every week
Waiting waiting sharp waiting 
In every night & day 
Waiting for your elastic wrist 
Waiting for your flexible breast 
Waiting for your narrow waist 
Waiting for your betel shaped hip 
waiting for your dark cloudy hair 
Waiting for your everlasting Love !

Sudhir kumar ' Savera '  13-10-1980      

शनिवार, 12 जनवरी 2013

शुक्रवार, 11 जनवरी 2013

209 . I am pleased with you


209 .

I am pleased with you 
You are anger with me 
As I know about you ?
And will you not come again ?
No no you are gone
Go to take my breath 
You never will come again
Your black eyes 
Was as black as Crow's wings 
All are yours 
You are gone gone , you are gone 
And I cast away Moon
God ha ! mercy on my soul !
Hold hold my heart 
While memory holds a seat 
Leave me alone 
I want to be one
What is done
It is my fun
Since long long ago
Only I run !
Sudhir kumar ' savera '    21-10-1980

गुरुवार, 10 जनवरी 2013

208 . Give me pain


208 .

Give me pain 
As much you can 
Create much trouble 
As much you can
Deceive me more
As much you can
Avoid me as much 
As much you can
Avoid me as much 
As much you can 
Hate me much
As much you can 
Hurt me a lot
As much you can
Leave me alone 
As much you can 
After all I will be a leap forward .

Sudhir kumar ' Savera '   25-10-1980
चित्र गूगल के सौजन्य से   

बुधवार, 9 जनवरी 2013

207 . Now in every street ,


207 .

Now in every street ,
And every path ,
your memory hammer me ,
On every walk ,
To which ,
I acoossed along wiyh you ,
What is life ?
You left me , 
And went away ,
You made out ,
Only a trace ,
In my mind . 

Sudhir Kumar ' Savera '   27-10-1980
चित्र गूगल के सौजन्य से   

मंगलवार, 8 जनवरी 2013

206 . बार - बार निकालता हूँ दिल से तेरा ख्याल


206 .

बार - बार निकालता हूँ दिल से तेरा ख्याल 
याद आ जाते हैं पर तेरे वो गुलाबी गाल 
किसी भी तरह से दिल पाता नहीं है चैन 
याद आ जाते हैं तेरे वो कजरारे नैन 
याद आ जाते हैं तेरे गेशुओं की छाँव 
हरे हो जाते हैं दिल के घाव 
बेवफा ही बनना था तो वफ़ा क्यों किया 
जुदाई का ज़हर ही देना था तो प्यार क्यों किया !

सुधीर कुमार ' सवेरा '  22-04-1980
चित्र गूगल के सौजन्य से  

205 . गुलमोहर की छाँव में


205 .

गुलमोहर की छाँव में 
जुबली झील के ठाँव में 
मन मेरा कह रहा 
कुछ - कुछ गुनगुना रहा 
बादलों की घटा 
घिर रही है यहाँ 
हवा भी हलकी - हलकी बह रही 
ऐसे मौसम में तूँ है कहाँ 
भिनी - भिनी ये सुगंध 
गुलाब की लग रही 
फव्वारों की ये रंगीनियाँ 
बह रही है यहाँ 
दिल में मेरे मन में 
सारी फ़िजा में 
छा गयी है बहार 
पर तेरे बिना 
है ये सारा विरान 
कोयल है कूक रही 
जवानियाँ बहक रही 
आ जो जा तूँ अभी 
हम भी बहक पड़े फिर अभी !

सुधीर कुमार ' सवेरा '   15-07-1980 

204 . मेरे दिल में तेरा ही अक्श उभरता है


204 .

मेरे दिल में तेरा ही अक्श उभरता है 
जुबाँ पे भी बस एक तेरा ही नाम रहता है 
ख्वाबों में भी बस तेरा ही ख्याल रहता है 
शायद कई जन्मों से 
तेरे साथ मेरा नाम जुड़ा है 
सत्य इतना 
जितना पृथ्वी के साथ 
सूर्य का अस्तित्व जुड़ा है !

सुधीर कुमार ' सवेरा '    31-03-1980
चित्र गूगल के सौजन्य से  

203 . मैं जहाँ खड़ा हूँ


203 .

मैं जहाँ खड़ा हूँ 
दर्द का बाग है 
गमों की बहार है 
पहुंचकर जहाँ 
हर इंसान विचारों में 
जीने लगता है 
सच्चाई से मुख मोड़ने लगता है 
खुद का दामन खुद से चुराने लगता है !

सुधीर कुमार ' सवेरा ' 07-01-1984
चित्र गूगल के सौजन्य से  

202 . वक्त जब तुझको पड़ा था


202.

वक्त जब तुझको पड़ा था 
तो सर्वश्व हमने दिया 
अब बहार आ गया है तेरे चमन में 
तो कहते हैं कि तेरा काम नहीं !

सुधीर कुमार ' सवेरा ' 16-01-1984
चित्र गूगल के सौजन्य से  

201 . प्यार एक आध्यात्मिक स्वार्थ है


201 .

प्यार एक आध्यात्मिक स्वार्थ है 
जिसमे जिसे लोग प्यार करते हैं 
उसके ख़ुशी के लिए 
अपने को कष्ट 
और कोई भी कुर्बानी
देने के लिए 
सदैव तैयार रहते हैं !

सुधीर कुमार ' सवेरा '    20-06-1980
चित्र गूगल के सौजन्य से   

200 . कौन है जो


200 .

कौन है जो 
इस जग में सुखी है 
जो जहीं है 
वो वहीं दुःखी है !

सुधीर कुमार ' सवेरा '  17-01-1984
चित्र गूगल के सौजन्य से  

सोमवार, 7 जनवरी 2013

199 . दर्द को भुलाने के लिए


199 .

दर्द को भुलाने के लिए 
प्यार का सहारा नहीं मिलता 
जब भी मिलता है 
तो गम का प्याला मिलता है 
दुनियाँ में बहुत भीड़ है 
पर कोई हमारा नहीं मिलता 
भीड़ में भी रहकर 
कोई सहारा नहीं मिलता 
हँसी के बादलों में भी 
ढूंढे से भी हँसी का फुहारा नहीं मिलता 
पेड़ों के छावं में भी 
छाँवों का सहारा नहीं मिलता 
गर्दिस में घिर जाएँ तो 
पीने को जहर का प्याला नहीं मिलता 
झील की ठंढी छाँव में भी 
ठंढक का एहसास नहीं मिलता !

सुधीर कुमार ' सवेरा '    14-07-1980   3.00 am 
चित्र गूगल के सौजन्य से 

198 .जिन्दगी यादों की डायरी है


198 .

जिन्दगी यादों की डायरी है 
यादें गम और ख़ुशी की दास्ताँ हैं 
खुशियाँ होती हैं कम 
या भूलने वाली 
पर गम नश्तर सी चुभने वाली 
पस से भरी हुई 
फोड़े की तरह 
नीरस वीरान जिन्दगी 
केवल उत्तमता की आशा से 
खिंची है चली जाती !

सुधीर कुमार ' सवेरा '   12-07-1980
चित्र गूगल के सौजन्य से  

197 . बचपन की बात है


197 .

बचपन की बात है 
दौड़ते हैं बादल 
पर लगता चाँद है 
जवानी की बात है 
होती है क्षीण जिसमे शक्ति 
लगती वही ख़ुशी की बात है 
इसी बीच आ जाता है बुढ़ापा 
किसी लायक नहीं छोड़ता है 
निकल जाता है आखिर में जनाज़ा !

सुधीर कुमार ' सवेरा '    01-07-1980
चित्र गूगल के सौजन्य से  

196 . शशि सा शीतल सुन्दर नयन


196 .

शशि सा शीतल सुन्दर नयन 
करने दो इन्हें किसी का चयन 
जब नयनों के द्वार कोई आने लगे 
नयनों के द्वार खुले रखना 
मत बंद करो पलकों को 
कहने दो जो ये कहते हैं 
मन में तेरे जो भाव हैं 
जुबाँ से जो कह नहीं सकती 
उसको भी ये कह देती हैं 
मत बंद करो पलकों को 
नयनों के द्वार खुले रखना 
मृदु अधरों के मुस्कान को 
अधरों में ही समेटे रखना 
आने देना किसी पथिक को 
अधरों के द्वार खुले रखना 
नयनों के द्वार खुले रखना 
तेरे मन के सारे उलझन 
करते प्रकट तेरे ये नयन 
मन तक पहुंचे हम 
नयनों के द्वार खुले रखना !

सुधीर कुमार ' सवेरा '   11-10-1980
चित्र गूगल के सौजन्य से  

बुधवार, 2 जनवरी 2013

195 . गैरों ने बहुत चाहा


195 .

गैरों ने बहुत चाहा 
बागवाँ मेरा उजाड़ना 
पर एक तिनका भी 
न वो खिसका पाए 
पर जिन्हें घर था मेरा बसाना 
टुकड़े - टुकड़े कर डाला 
रह गया बस 
दिल में बंद 
अरमानों के आँसू बहाना !

सुधीर कुमार ' सवेरा '  17-01-1984
चित्र गूगल के सौजन्य से  

194 . वर्ष पर वर्ष बितते गए


194 .

वर्ष पर वर्ष बितते गए
यादों के फूल खिलते गए 
पतझड़ का मौसम लहराता रहा 
जफाई के नोंक चुभते रहे 
सतरंगी तारों का था वो मौसम 
हर डाली पे थे फूल खिलते !

सुधीर कुमार ' सवेरा ' 12-01-1984
चित्र गूगल के सौजन्य से    

193 . आसमान धुआँ - धुआँ है


193 .

आसमान धुआँ - धुआँ है 
सरजमीं हवा हो गयी 
जिन्दगी अपनी ऐसी बनी 
ना जाने किस अधर में 
लटक कर रह गयी !

सुधीर कुमार ' सवेरा ' 12-01-1984
चित्र गूगल के सौजन्य से  

मंगलवार, 1 जनवरी 2013

192 . जिन्दगी में तलब साथी क़ी होती है


192 .

जिन्दगी में तलब साथी क़ी होती है 
साथी हसीन हो तो 
सफ़र सुहानी होती है 
रास्ता अगर पथरीला भी हो तो 
मखमली घास सी लगती है 
गर साथ प्यार का 
सुन्दर सी प्यारी का हो तो 
पर जब दिल टूटता है 
जैसे शीशा पत्थर पे फूटता है 
पर ये बेआवाज होती है 
इस निःशब्दता में भी 
समुद्र सी भीषण गर्जना 
छिपी होती है 
दूध में मक्खन जैसी 
बेवफाई का दर्द 
इस कदर बढ़ता है 
कि गम में जाम की तलब होती है 
इस जाम में गम 
शर्करा की तरह घुल जाती है 
तब जाम भी हसीन लगती है !

सुधीर कुमार ' सवेरा '  21-06-1980
चित्र गूगल के सौजन्य से  

191 . जवानी मेरी


191 .

जवानी मेरी 
जवानी न थी 
जिन्दगी में अपनी 
कोई कहानी न थी 
तुम क्या आये 
अपनी कहानी में 
जिंदगानी मेरी 
जिंदगानी न रही 
पलट गयी सारी कहानी 
कहानी अपनी 
कोई कहानी न रही !

सुधीर कुमार ' सवेरा '  21-01-1984
चित्र गूगल के सौजन्य से   

190 . ये गम के बादलों का घेरा


190 .

ये गम के बादलों का घेरा 
है चारों ओर से घिरा 
मत पूछो कोई 
ऐसा क्यों हो गया 
कोई आज बेवफा हो गया 
मौत आ जाती गर 
पहले ही कहीं मुझको 
होती बड़ी मेहरबानी ऐ खुदा 
न सहना पड़ता दर्द ये जुदाई का 
क्या होता है दर्द बेवफाई का 
रो पड़ता तूँ भी ऐ खुदा 
अच्छा होता गर 
मर जाता दिल में लिए अरमान मिलन का 
कहना तो ना पड़ता अपनी ही जान को बेवफा 
जो थी कभी मेरी आत्मा मेरी पूजा 
उसी ने आज समझा है मुझको दूजा 
जीता रहा जिसके लिए 
उसी ने गैर आज मुझको समझा 
निकलते थे हर साँस जिसके लिए हर पल 
उसी ने आज मुझको बेगाना है समझा 
काश ये धरती फटती जो पहले 
दर्द ये जुदाई का 
सहना तो न पड़ता !

सुधीर कुमार ' सवेरा '  22-09-1980
चित्र गूगल के सौजन्य से  

189 . दूरी !


189 .

दूरी !
हाँ बहुत थी 
इंतजारी !
हाँ बहुतों को थी 
हर को इंतजारी 
केवल खुदगर्जी की थी 
एक का इंतजार 
और भी था 
जो तेरा सर्वेश्वर था 
इंतजार को मिला है 
बस इंतजार 
इंतजार
शायद मेरे शहादत तक 
सामने आने पर भी 
है तेरा इंतजार 
पीपल के 
पत्रविहीन डाली 
सुना रही है 
अपनी कहानी 
इंतजार 
हाँ उसे भी है इंतजार 
शायद अपनों का बस है इंतजार 
बड़ा ही निश्वार्थ इंतजार बस इंतजार !

सुधीर कुमार ' सवेरा '  21-01-1984
चित्र गूगल के सौजन्य से