मंगलवार, 30 सितंबर 2014

301 .लाड़ प्यार के पलने में थे पले , गमो से पर गए पाले !

३ ० १ 
लाड़ प्यार के पलने में थे पले , गमो से पर गए पाले !

बुरा हो इस मोहब्बत का पड़ गए जान के लाले !!


खुदाया खैर करे , ये इश्क का तो फर्स्ट इयर है |


इधर बेचैन तुम हो उधर बेचैन डियर है |


हजारों बार दुनियाँ ने मुझे धक्के दिये लेकिन |

हजारों बार दुनियाँ पर भरोसा कर लिया मैने ||


वर्तमान बदल सकते हो भविष्य बदल सकते हो ,

अपना और औरों का विश्‍वास बदल सकते हो ,

यह धरती क्या आसमान बदल सकते हो |


मुझको मालूम नहीं , तुमको खबर हो शायद |

लोग कहते हैं कि तूने बर्बाद किया ||


खट्टी तुम खट्टा तेरा आचार ,

कहती है तुम जिसे प्यार ,

मुझे लगा वो है तेरे जिस्म की प्यास |


सुधीर कुमार ' सवेरा ' २१-०७ - १९८४ १-२५ am

काली पीठ समस्तीपुर |

सोमवार, 29 सितंबर 2014

300.नजरें मिला - मिला कर नजर बदल लिया

३ ० ० 
नजरें मिला - मिला कर नजर बदल लिया ,
इस बात से क्या शिकवा करूँ ,
ज़माने की फितरत ही कुछ ऐसी है ,
प्यार को प्यार वफ़ा को वफ़ा यहाँ मिलती नहीं है !

सुधीर कुमार ' सवेरा '

299 .उन्होंने फिर वादा मिलने का किया है !

२ ९ ९ 
उन्होंने फिर वादा मिलने का किया है !
मानी अभी कुछ और दिन जीना है !!

सोंचा था दुनियाँ को कहना अपना फ़साना !
दुनियाँ खुद अफ़साना , अफ़साने को क्या कहना !!

क्या - क्या न खिदमत की दिल मेरा लेने से पहले !
किस कदर फेर ली आँखे ,
मतलब निकल जाने के बाद !!

किसी के मौत पे भी न बहे थे आँसू कभी !
आज किसी के याद में परवरदिगार रोता हूँ मैं !!

कैसे लिपटे थे आप पहली मुलाकात में !
शायद भूल गए ,
प्यार का वो पहला इजहार अब तक है मुझे याद !!

ऐ दिल उनके बातों पे ऐतबार न रख ,
भूल कर भी उनसे प्यार न रख,
वो क़यामत तलक न आयेंगे ,
उनके आने का इंतजार न कर !

सुधीर कुमार ' सवेरा ' 

रविवार, 28 सितंबर 2014

298 .गर पोंछ ही दिया आपने आज आँसू तो क्या ?

२ ९ ८ 
गर पोंछ ही दिया आपने आज आँसू तो क्या ?
अब तो आँखों का जिंदगी भर का ये काम है !!

पता न था हमें हश्रे मोहब्बत !
भूल कर भी न लेते हम नामे मोहब्बत !!

आदमी - आदमी से प्यार करे थोड़ा है !
हमने तो पत्थर से भी प्यार किया है !!

जब तुम याद आये तो कुछ भी न रहा याद !
ना जाने तुमने कब भुलाया कब किया याद !!

आहें पुरदर्द से बचना आसान नहीं !
कह दो सबसे दिल लगाया करें नहीं !!

सुधीर कुमार ' सवेरा '

शनिवार, 27 सितंबर 2014

297 . आप बोसा बिना गिने अनगिनत लिए ,


२ ९ ७
आप बोसा बिना गिने अनगिनत लिए ,
दिन गिना करते थे इस दिन के लिए ,
ले करके पूछूंगा दो बोसे रुखसार के ,
कैसे मिजाज हैं मेरे परवर दिगार के ,
मेरे फरमाइशी बोसे पे , पहले तो वो इतराये ,
फिर सिमट के आ गए , बाँहों में शरमाने के बाद !

दिल से कहते थे न ऐसी राह चल !
ठोकर खा कर गिरा अच्छा हुआ !!

दिल टूटने से थोड़ी सी तकलीफ तो हुई ,
लेकिन तमाम उम्र को आराम हो गया !

आज दिले बर्बाद की जिद है ,
 रोएँ तबतलक दामन से लिपट के ,
तड़पते देखता हूँ जब कोई शय ,
उठा लेता हूँ उसे अपना समझ कर !

दिल में रखो किसी को दिल में रहो किसी के !
सीखो अभी तरीके कुछ रोज दिलवरी के !!

सिवा इसके कोई तमन्ना नहीं है !
फकत आपको देखना चाहते हैं !!

आराम तमाम उम्र के सीने में दफ़न है !
हम चलते फिरते लोग मजार से कम नहीं !!

सुधीर कुमार ' सवेरा '

गुरुवार, 25 सितंबर 2014

296 .उनकी इनायतें हैं कि दुनियां बदल गयी !


२ ९ ६.
उनकी इनायतें हैं कि दुनियां बदल गयी !
वर्ना वही जमीं है वही आसमान है !!

मुझको दर्दे ए इश्क देकर तूने शायर बना दिया !
तेरा एहसान है कि पत्थर को जवाहर बना दिया !!

संबंध आपसे बढ़ा के यूँ बेआबरू हुए !
पहले थे आप - आप से तुम , तुम से तू हुए !!

ये सब कहने कि बात है , वो हमको छोड़ बैठे हैं !
जब आँख चार होती है , मोहब्बत आ ही जाती है !!

वक्त दो ही कठिन गुजरे हैं सारी उम्र में !
एक तेरे आने के पहले एक तेरे जाने के बाद !!

कभी हम आह भरते हैं कभी फरियाद करते हैं !
तुझे ऐ भूलने वाले हम अब तक याद करते हैं !!

इश्क की जिस पर इनायत हो गयी !
होश जाहिल अक्ल रुखसत हो गयी !!

हमसे पहले भी मोहब्बत का यही अंजाम था !
कैश भी नाशाद था , फरहाद भी नाकाम था !!

अच्छे ईशा हो , मरीजों का ख्याल अच्छा है !
हम मरे जाते हैं तुम कहते हो हाल अच्छा है !!

जिंदगी से तो खैर शिकवा था !
मुद्दतों से मौत ने भी तरसाया  !!

होती नहीं सुबह न आती है मुझको नींद !
जिसको पुकारता हूँ वो कहता है मर कहीं !!

होंगे बदनाम तो हो लेने दो !
हमको जी खोलकर रो लेने दो !!

वादे पे है क्या नाहक उम्मीद की ताक़ीद !
बंधती है कहीं जालिम , टूटी हुई उम्मीद !!

दिल की मज़बूरी भी क्या शय है कि दर से अपने !
उसने सौ बार उठाया तो मैं सौ बार आया !!

तुम नहीं पास कोई पास नहीं !
अब मुझे जिंदगी की आस नहीं !!

सच है ' सवेरा ' याद भी उनके न रहेंगे हम !
पर क्या करें वो हमसे भुलाये न जायेंगे !!

सुधीर कुमार ' सवेरा '

सोमवार, 8 सितंबर 2014

295 .और क्या देखने को बाँकी रहा !


२ ९ ५.
और क्या देखने को बाँकी रहा !
तुझसे दिल लगा कर देख लिया !!

वो हमसे ख़फ़ा हैं , हम उनसे ख़फ़ा हैं !
मगर बात करने को उनसे जी चाहता है !!

हमने उनसे वफ़ा की उम्मीद लगायी !
जो जानते न थे वफ़ा क्या चीज है !!

बात - बात पे लोग सजा देते हैं !
आशिक मैं क्या हुआ की गुनहगार हो गया हूँ !!

अल्लाह करे तुमको भी हो चाह किसी की !
फिर मेरी तरह तूँ भी ताके राह किसी की !!

दिखा कर मुंह छिपा लेना हया इसको नहीं कहते !
लगा कर दिल हटा लेना वफ़ा इसको नहीं कहते !!

तुम सलामत रहो , घर गैर का आबाद रहे !
तुमको क्या कोई साद रहे या कोई नाशाद रहे !!

हमारी बेबकूफी थी जो तुमसे दिल लगाया था !
ज़माने से बिगाड़ी थी तुम्हे अपना बनाया था!

नहीं मिलते न मिलिए खैर कोई मर न जायेगा !
खुदा का शुक्र है पहले मोहब्बत आपने कम की !!

हम भी कुछ खुश नहीं वफ़ा करके !
तुमने अच्छा ही किया निबाह न की !!

ज़माने से शिकवा न कर ऐ दिल !
जमाना नहीं साथ देता किसी का !!

यह भी गर खता है तो बेशक हुई खता !
अपना समझ के तुमको पुकारा कभी - कभी !!

सुधीर कुमार ' सवेरा '

294 .मिलने का वादा तो उनके मुँह से निकल गया !


२ ९ ४. 
मिलने का वादा तो उनके मुँह से निकल गया !
पूछी जगह जो मैंने , कहा हँसके ख्वाब में !!

अंदाज वो ही समझें मेरे दिल की आह का !
जख्मी जो हो चुका हो किसी के निगाह का !!

तुमने ना किया याद कभी भूल कर हमें !
हमने तुम्हारी याद में सब कुछ भुला दिया !!

मेरा ही नाम ज़माने ने कर दिया बदनाम ,
जिसने मुझे इश्क सिखाया ,
उसका क्यों नहीं कहीं नाम !

सुधीर कुमार ' सवेरा ' 

रविवार, 7 सितंबर 2014

293 . जुबान कट जाये अगर लब से


२ ९ ३  . 
जुबान कट जाये अगर लब से 
तुम्हारे लिए कुछ गिला निकले 
मगर यह तो कहूँगा तुझको 
क्या समझा था क्या निकले ! 

 सुधीर कुमार ' सवेरा '