गुरुवार, 25 सितंबर 2014

296 .उनकी इनायतें हैं कि दुनियां बदल गयी !


२ ९ ६.
उनकी इनायतें हैं कि दुनियां बदल गयी !
वर्ना वही जमीं है वही आसमान है !!

मुझको दर्दे ए इश्क देकर तूने शायर बना दिया !
तेरा एहसान है कि पत्थर को जवाहर बना दिया !!

संबंध आपसे बढ़ा के यूँ बेआबरू हुए !
पहले थे आप - आप से तुम , तुम से तू हुए !!

ये सब कहने कि बात है , वो हमको छोड़ बैठे हैं !
जब आँख चार होती है , मोहब्बत आ ही जाती है !!

वक्त दो ही कठिन गुजरे हैं सारी उम्र में !
एक तेरे आने के पहले एक तेरे जाने के बाद !!

कभी हम आह भरते हैं कभी फरियाद करते हैं !
तुझे ऐ भूलने वाले हम अब तक याद करते हैं !!

इश्क की जिस पर इनायत हो गयी !
होश जाहिल अक्ल रुखसत हो गयी !!

हमसे पहले भी मोहब्बत का यही अंजाम था !
कैश भी नाशाद था , फरहाद भी नाकाम था !!

अच्छे ईशा हो , मरीजों का ख्याल अच्छा है !
हम मरे जाते हैं तुम कहते हो हाल अच्छा है !!

जिंदगी से तो खैर शिकवा था !
मुद्दतों से मौत ने भी तरसाया  !!

होती नहीं सुबह न आती है मुझको नींद !
जिसको पुकारता हूँ वो कहता है मर कहीं !!

होंगे बदनाम तो हो लेने दो !
हमको जी खोलकर रो लेने दो !!

वादे पे है क्या नाहक उम्मीद की ताक़ीद !
बंधती है कहीं जालिम , टूटी हुई उम्मीद !!

दिल की मज़बूरी भी क्या शय है कि दर से अपने !
उसने सौ बार उठाया तो मैं सौ बार आया !!

तुम नहीं पास कोई पास नहीं !
अब मुझे जिंदगी की आस नहीं !!

सच है ' सवेरा ' याद भी उनके न रहेंगे हम !
पर क्या करें वो हमसे भुलाये न जायेंगे !!

सुधीर कुमार ' सवेरा '

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