शुक्रवार, 28 नवंबर 2014

343 .एक समय था

३४३ 
एक समय था 
जब वो बच्ची थी 
बच्चों जैसी 
उसकी हरकतें थी 
जी भरकर मुझसे 
लड़ती थी 
ऐसी बात नहीं 
की वो मुझे नहीं चाहती थी 
पर मैं 
उस वक्त 
अपने को 
बड़ा और समझदार समझ 
ज्यादा करीब 
उसे आने न दिया 
और आज 
मैं बच्चा हो गया हूँ 
मेरी हरकतों को 
वो बचपना समझती है 
और बड़ो की तरह 
मुझसे व्यवहार करती है 
दुनियाँ वो मुझे सिखाती है 
चूँकि मैं अब तक कुँवारा हूँ 
वो तीन बच्चों की माँ है 
मुझे भी बच्चा समझ 
बड़ों की तरह 
मुझ पर अधिकार जताती है !


सुधीर कुमार ' सवेरा ' ३१ -०५ - १९८४ राँची 
१० - ४५ am 

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