मंगलवार, 14 अप्रैल 2015

443 . किनको तुम देख रहे हो

४४३ 
किनको तुम देख रहे हो 
सब दौड़ रहे हैं अंधकूप की ओर 
क्या तुमको भी कूदना है उसमे 
औरों की तरह उस कुंएं में 
गर ऐसा नहीं है तो 
अपना अलग पुण्य पथ देखो !

सुधीर कुमार ' सवेरा '

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