शुक्रवार, 19 जून 2015

504 . ओ माँ मेरी पूजिता

५०४ 
ओ माँ मेरी पूजिता 
तुझमे ही है मेरी आस्था 
न धर्म में आस्था 
न धन संग्रह में आस्था 
न काम भोग में आस्था 
भोग प्रारब्धवश हैं मुझको भोगने 
भोगों का नहीं मैं प्यासा 
माँ बस तेरे ही चरणो की 
मुझको है मात्र एक अभिलाषा 
जन्म जन्मांतरणो में भी माँ 
छूटे ना तेरे चरणो की आशा !

सुधीर कुमार ' सवेरा '

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