शुक्रवार, 21 अगस्त 2015

540 . सनातन सत्य

                                      यादें
             ( बेटे उज्जवल सुमित का जन्म दिन )
५४० 
सनातन सत्य 
बीत गया जीवन आधा सोने में 
आधे को बिगाड़ दिया लड़ने झगड़ने में पाने खोने में 
यह दुर्लभ जीवन यूँ ही न जाये निरुद्देश्य रीत 
करें अमृत साधना शक्ति सृजन प्रेरणा उत्साह से प्रीत 
न खुद कर पाये इन अमोध शक्तियों से प्राप्त आनंद 
न ही कर पाये कुछ भी औरों के कोई कार्य सिद्ध 
सब कुछ पाकर सब कुछ खो देना 
अज्ञानता के मद में क्या खोना क्या पाना 
पाकर सब कुछ न मिलने से ज्यादा बद्द्तर हो गया 
मूढ़तावश सब कुछ धूल धूसरित हो गया 
जीवन में जीती हुई सारी बाजी हार गए 
जिसके लिए आये थे वही मंतव्य भूल गए 
जाना था कहाँ , कहाँ था गंतव्य 
रास्ता भूल किधर को चले और कहाँ पहुँच गए 
आज जो मेरा है कल किसी और का 
आज के बाद कल किसी और का 
क्षण - क्षण कमाकर पल - पल गंवाकर बचाया क्या 
छल - कपट झूठ - फरेब ईर्ष्या - द्वेष से पाया क्या 
बचाने और अधिक पाने की चाह में 
पेट भर कभी खाया नहीं 
जब भूख थी तो भोजन पाया नहीं 
अब जब भूख है तो मुंह में दांत नहीं 
डाक्टरों ने भी दी खाने की इजाजत नहीं 
फिर क्यों जोड़ा किसके लिए बचाया 
कहावत है पूत कपूत तो धन क्यों संचय 
पूत सपूत तो धन क्यों संचय 
जो जोड़ा कमाया बचाया 
उपरवाले बस उसका चौकीदार बनाया 
गर जो कुकर्मो से कमाया 
उसी रास्ते से है निकल जाना 
जो दिख रहा वही तो है माया 
पाकर जिसको है खोया सब मोह माया 
आनंद तलाशना उसमे डूबे रहना 
अकारण पीड़ा से बचना तो है बस ज्ञान कमाना 
संसार में पीड़ा और पश्चाताप के अलावा क्या 
समझो और समझाओ ज्ञान रस के सिवा उपाय क्या ?

सुधीर कुमार ' सवेरा ' २० - १० - २०१२ 
११ - १८ am