सोमवार, 4 जुलाई 2016

564 .विद्यापति ----भगवती गीत


भगवती गीत 
जय - जय भैरवि असुर - भयाउनि , पशुपति भामिनि माया !
सहज सुमति वर दिअओ गोसाउनि , अनुगत गति तुअ पाया !!
वासर रैनि शवासन शोभित , चरण चन्द्र्मनि  चुडा !
कतओक दैत्य मारि मुँह मेललि , कतओ उगिलि कैल कूड़ा !!
सामर वरन नयन अनुरंजित , जलद जोग फुल कोका !
कट - कट विकट ओठ - पुट पांडरि , लिधुर फेन उठ फोका !
घन - घन घनन घुंघरू कत बजाय , हन - हन कर तुअ काता !
विद्यापति कवि तुअ पद सेवक , पुत्र विसरु जनि माता !!
-------------विद्यापति 

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