सोमवार, 11 जुलाई 2016

571 .श्री दुर्गा


                                 श्री दुर्गा
कनक - भूधर - शिखर - वासिनि , चन्द्रिकाचय चारु हासिनि ! 
दशन - कोटि - विकास वण्डीकम् , तुलित चन्द्र्कले !!
क्रुद्ध - सुर - रिपु - बल - निपातिनि , महिष - शुम्भ - निशुम्भघातनि !
भीत - भक्त - भयापनोदन , पाटव - प्रबले !!
जय देवि दुर्ग दुरित - तारिणि , दुर्ग मारि - विमर्द - कारिणी !
भक्ति - नम्र - सुरासुराधिप - मंगलायतरे !!
गगन - मण्डल - गर्भगाहिनि समर भूमिषु सिंहवाहिनी !
परशु - पाश - कृपाण - सायक - शंखक - चक्र - धरे !!
अष्ट - भैरवि संगंग - शालिनि स्वकर - कृत्त - कपाल - मालिनि !
दनुज - शोणित - पिशित - वर्धित पारणा - रमसे !!
संसारबन्ध - निदान - मोचनि - चन्द्र  - भानु - कृशानु - लोचनि !
योगिनीगण - नृत्य शोभित नृत्य भूमि रसे !!
जगति  पालन - जनन - मारण - रूप - कार्य -सद्य कारण !
हरि - बिरञ्चि - महेश - शेखर - चुम्ब्यमान - पदे !!
सकल -पापकला - परीच्युति - सुकवि - विद्यापति - कृत - स्तुति !
तोषिते शिवसिंह - भूपति - कामना फलदे !!
                                                              ( विद्यापति गीतावली )

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