गुरुवार, 22 सितंबर 2016

592 . गोसाउनि


                                   ५९२ 
                                गोसाउनि 
तोहीँ धरनी तोहीँ करनी , तोहीँ जगतक मात।। हे माई।।
दश मास माता उदर में राखल , दश मास दूध पियाब। 
निरंकार निरंजनि लक्ष्मीश्वरि , भवधरनि तोँ कहाव।।
सुरमाक रथ चढ़ि तोहीं बैसलि दुर्गा नाम धराव। 
पण्डित केर तोँ पोथी जांचह , सरस्वति नाम सुनाव।।
गाइनि मुख में गान भए पैसलि , सुस्वर गीत सुहाव। 
मंगनीराम चरण पर लोटथि , भक्ति मुक्ति वर पाव।।
( हिस्ट्री ऑफ़ मैथिली लिटरेचर ) मंगनीराम 

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