शुक्रवार, 23 सितंबर 2016

593 . आदिशक्ति


                                     ५९३ 
                               आदिशक्ति 
जय जय आदि शक्ति शुभदायिनि। महिधर शायिनि देवी। 
सुर नर मुनि गण सकल सुखित मन केवल तुअ पद सेवी।।
हमहु शरण धय चरण अराधल तोहि करुणामय जानी। 
तइओ रहल दुःख सपनहुँ नहि सुख तकर परम होअ हानी।।
हम सम अधम जगत नहि दोसर जप तप गति नहि जानी। 
अब हम मगन भेलहुँ भवसागर गति एक तोहीं भवानी।।
जत अपराध कएल भरि जीवन कहि न सकिअ तत माता। 
सुत शरणागत सेवक पामर सभक जननि तोँ त्राता।।
दुहु कलजोड़ि अरज अवनत भए शम्भुदत्त  कवि भाने। 
त्रिभुवनतारिणि अधम - उधारिणि ! देहु अभय वरदाने।।
(  मैथिली गीत रत्नावली ) शम्भुदत्त 

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