शनिवार, 24 दिसंबर 2016

642 . रहू देवि दासी विषय सहाय।


                                    ६४२
रहू देवि दासी विषय सहाय। 
जय जय जगदीश्वर - वामांगी जय जय गणपति - माय।। 
अतिशय चिन्ता मन में छल अछि नृपति कठिन पण पाय।
दरशन देल भेल मन - वान्छित चिन्ता गेलि मेटाय।।
सकल सृष्टि कारिणि जगतारिणि महिमा कहल न जाय।
जगदम्बा अनुकूला अपनहि हम की देब जनाय।।
रामचन्द्र सुन्दर वर जै विधि होथि महीप - जमाय। 
जय जय जननी सनातनि सुन्दरि तेहन रचब उपाय।।
                                                     ( रामायण )  

कोई टिप्पणी नहीं: