बुधवार, 28 दिसंबर 2016

646 . मैया महेशी कलेश हरु मोर , त्यागू ने देवी उदारपना।


                                     ६४६
                               श्रीमहेश्वरी
मैया महेशी कलेश हरु मोर , त्यागू ने देवी उदारपना। 
वाणी आहाँ छी सची छी अहाँ , हरिलक्ष्मी अहीं छी अनन्तघना।।
पालै छी विश्व चराचर कै पुनि घालै छी दानव दैत्य गना। 
मायासौं मोहित लोक करी पुनि विद्या अहीं छी आनन्दघना।।
तंत्र ने जानी ओ मन्त्र ने जानी कुकर्मपनामे ने मानी मना। 
भारी भरोस अहैंक सदा दया देखू करू कविचन्द जना।।
                                                                  ( तत्रैव )    

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