शुक्रवार, 6 जनवरी 2017

655 . हेमन्त - किशोरी - जननि ! अब जनु होइअ भोरि।


                                        ६५५
                              हेमन्त - किशोरी
जननि ! अब जनु होइअ भोरि। 
पूजा ध्यान एकओ नहि जानिअ , तोहर चरण गति मोरि ।।
सुत अपराध कोटि जँ करइछ , माता होए न कठोर। 
जओं मोर दोष लिखल बसुधा भरि , उदधि करिअ मसि घोरि।।
सब विधि आस राखल देवि तोहर , सुनु - सुनु हेमंत - किसोरि।
जलपादत्त विनति करू भगवति , तोहे देवि अधम उधोरि।।
जलपादत्त  ( हिन्दी साहित्य और बिहार भाग - २ )

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