रविवार, 8 जनवरी 2017

657 . जय काली जय तारा भुवना , षोडसी मन भाबै।


                                    ६५७
जय काली जय तारा भुवना , षोडसी मन भाबै। 
धूमावति भजु बगला छिन्ना , भैरवी सुख पाबै।।
मातंगी भजु कमला माता , लक्ष्मीरूप कहाबै। 
दुर्गा दुर्गति नाशिनी गिरिजा , चण्डी रूप जनाबै।।
चामुण्डा भजु कौशिकी दयानी , महामोह मेटि जाबै। 
कामख्या भजु विंध्यवासिनी , ज्वालामुखि जग भावै।।
गुह्यकालि मीनाक्षी विमला , मंगल गौरि देखाबै। 
राजेश्वरि सिद्धेश्वरि सीता , गंगा गंडकि राबै।।
कौशिकि कमला बाग्वति भजिले , चिरंजीव द्विज गावै।। 
                                चिरञ्जीव ( तत्रैव )

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