चाँद की चाँदनी को चाँदी की कटोरी में लेकर चमक उसका देखा फिर भी आपकी सूरत की चमक से था ओ फीका भला कैसे न हो ये भी चमक तो उसने आपसे ही है पाया आपके न रहने पर यही शांत , क्लांत , म्लान चाँदनी मेरे जीवन के बुझे दिए को चमक अपनी अपनी देगा !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 09-02-1980 चित्र गूगल के सौजन्य