ADHURI KAVITA SMRITI
बुधवार, 2 जनवरी 2013
193 . आसमान धुआँ - धुआँ है
193 .
आसमान धुआँ - धुआँ है
सरजमीं हवा हो गयी
जिन्दगी अपनी ऐसी बनी
ना जाने किस अधर में
लटक कर रह गयी !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 12-01-1984
चित्र गूगल के सौजन्य से
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