ADHURI KAVITA SMRITI
गुरुवार, 23 अप्रैल 2015
458 . माँ यह तेरी माया
४५८
माँ यह तेरी माया
सब कुछ लगता अपना
नहीं ! यह जगत सपना
कहते थे जिनको अपना
उन्होंने ही दिया दफ़ना
भूल गए जैसे हो कोई सपना !
सुधीर कुमार ' सवेरा
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