ADHURI KAVITA SMRITI
बुधवार, 13 मई 2015
479 . कब करना था कुछ भी ?
४७९
कब करना था कुछ भी ?
अब भी क्या करना है ?
माँ को बस पुकारना है
प्रयासों से हम थक चुके
अब तो माँ को ही उबारना है !
सुधीर कुमार ' सवेरा '
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