यादें
( बेटा उज्जवल सुमित बिटिया सिद्धिदात्री के पाणी ग्रहण के सुअवसर पर अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए )
५४८
बड़े ही कठिन हैं पर ऐ पग तूँ बढे चलो
नजर अपनी तूँ चारों तरफ गड़ाए रखो
तुम्ही से आएगा नव विहान
बस धैर्य तुम अपना बनाये रखो
मत खोने दो अपनी चेतनता
बस हौसला बनाये रखो
तुम सुभाष , आजाद , भगत के वंशज
बस नस नस में बिजली फड़काए रखो
महाराणा प्रताप सरीखे तुम
विपदाएँ क्या बिगाड़ लेंगी तेरा
चाणक्य की तरह मूल से भ्रष्टाचार को उखाड़ फेंको
बस पग को न थकने दो हौसला बनाये रखो
अपमान और दुत्तकार पीओ नीलकंठ की तरह
समाज को गर्त में जाने से पर रोक लो
तीता खट्टा मीठा स्वाद मत देखो
बस लोहे के चने चबाये जाओ
सबों को साथ ले इस महासंग्राम को विजयी करो
बस पग को न थकने दो हौसला बनाये रखो !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' ०३ - ०२ - २०१३
७ - ३० pm
( बेटा उज्जवल सुमित बिटिया सिद्धिदात्री के पाणी ग्रहण के सुअवसर पर अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए )
५४८
बड़े ही कठिन हैं पर ऐ पग तूँ बढे चलो
नजर अपनी तूँ चारों तरफ गड़ाए रखो
तुम्ही से आएगा नव विहान
बस धैर्य तुम अपना बनाये रखो
मत खोने दो अपनी चेतनता
बस हौसला बनाये रखो
तुम सुभाष , आजाद , भगत के वंशज
बस नस नस में बिजली फड़काए रखो
महाराणा प्रताप सरीखे तुम
विपदाएँ क्या बिगाड़ लेंगी तेरा
चाणक्य की तरह मूल से भ्रष्टाचार को उखाड़ फेंको
बस पग को न थकने दो हौसला बनाये रखो
अपमान और दुत्तकार पीओ नीलकंठ की तरह
समाज को गर्त में जाने से पर रोक लो
तीता खट्टा मीठा स्वाद मत देखो
बस लोहे के चने चबाये जाओ
सबों को साथ ले इस महासंग्राम को विजयी करो
बस पग को न थकने दो हौसला बनाये रखो !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' ०३ - ०२ - २०१३
७ - ३० pm
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