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लाड़ प्यार के पलने में थे पले , गमो से पर गए पाले !
बुरा हो इस मोहब्बत का पड़ गए जान के लाले !!
खुदाया खैर करे , ये इश्क का तो फर्स्ट इयर है |
लाड़ प्यार के पलने में थे पले , गमो से पर गए पाले !
बुरा हो इस मोहब्बत का पड़ गए जान के लाले !!
खुदाया खैर करे , ये इश्क का तो फर्स्ट इयर है |
इधर बेचैन तुम हो उधर बेचैन डियर है |
हजारों बार दुनियाँ ने मुझे धक्के दिये लेकिन |
हजारों बार दुनियाँ पर भरोसा कर लिया मैने ||
वर्तमान बदल सकते हो भविष्य बदल सकते हो ,
अपना और औरों का विश्वास बदल सकते हो ,
यह धरती क्या आसमान बदल सकते हो |
मुझको मालूम नहीं , तुमको खबर हो शायद |
लोग कहते हैं कि तूने बर्बाद किया ||
खट्टी तुम खट्टा तेरा आचार ,
कहती है तुम जिसे प्यार ,
मुझे लगा वो है तेरे जिस्म की प्यास |
सुधीर कुमार ' सवेरा ' २१-०७ - १९८४ १-२५ am
काली पीठ समस्तीपुर |
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