ADHURI KAVITA SMRITI
सोमवार, 29 सितंबर 2014
300.नजरें मिला - मिला कर नजर बदल लिया
३ ० ०
नजरें मिला - मिला कर नजर बदल लिया ,
इस बात से क्या शिकवा करूँ ,
ज़माने की फितरत ही कुछ ऐसी है ,
प्यार को प्यार वफ़ा को वफ़ा यहाँ मिलती नहीं है !
सुधीर कुमार ' सवेरा '
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें