२ ९ ४.
मिलने का वादा तो उनके मुँह से निकल गया !
पूछी जगह जो मैंने , कहा हँसके ख्वाब में !!
अंदाज वो ही समझें मेरे दिल की आह का !
जख्मी जो हो चुका हो किसी के निगाह का !!
तुमने ना किया याद कभी भूल कर हमें !
हमने तुम्हारी याद में सब कुछ भुला दिया !!
मेरा ही नाम ज़माने ने कर दिया बदनाम ,
जिसने मुझे इश्क सिखाया ,
उसका क्यों नहीं कहीं नाम !
सुधीर कुमार ' सवेरा '
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें