513 . माँ तेरे लाखों बेटे
५१३
माँ तेरे लाखों बेटे
मोह ममता मुझको लपेटे
क्यों न देती दर्शन
क्यों न होती हो प्रसन्न
एक अकेला दोष बहुतेरा
अपनी ममता का दे सहारा
सबके मन की प्यास बुझाती
क्यों न मुझको दर्शन देती
दुनियाँ बहुत बड़ी है
माया से भरी परी है
भर कर मन में ज्ञान
कर दे मेरा कल्याण !
सुधीर कुमार ' सवेरा '
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