ADHURI KAVITA SMRITI
रविवार, 28 जून 2015
512 . माँ जगत जननी बन जा सहारा
५१२
माँ जगत जननी बन जा सहारा
पग - पग मैं अब माँ
हूँ इस जीवन से हारा
बीच भंवर में अँटका हूँ
नईया कर दे किनारा
दुखियों को माँ तूने ही उबारा
भव बंधन में फंस ' माँ '
आज ' सवेरा ' ने तुझे है पुकारा !
सुधीर कुमार ' सवेरा '
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