( पुत्र - उज्जवल सुमित )
५०८
छोड़ दे अपनी बुद्धि थोथी
करो न बकवास तुम थोथी
इस तन से मोह छोड़ दे
खुद को खुद से जोड़ दे
इस झूठी ममता से ही
बंधी रही कर्म की डोरी
यह जड़ तूँ है चेतन
बस समझ तुं इसे निकेतन
छोड़ इसे हमें जाना है
खुद का स्वरुप हमें अपनाना है
सम्यक दर्शन ज्ञान विवेक को लेकर
तन की झूठी ममता भगाना है !
सुधीर कुमार ' सवेरा '
५०८
छोड़ दे अपनी बुद्धि थोथी
करो न बकवास तुम थोथी
इस तन से मोह छोड़ दे
खुद को खुद से जोड़ दे
इस झूठी ममता से ही
बंधी रही कर्म की डोरी
यह जड़ तूँ है चेतन
बस समझ तुं इसे निकेतन
छोड़ इसे हमें जाना है
खुद का स्वरुप हमें अपनाना है
सम्यक दर्शन ज्ञान विवेक को लेकर
तन की झूठी ममता भगाना है !
सुधीर कुमार ' सवेरा '
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