505 . जैसे रखो माँ
५०५
जैसे रखो माँ
वैसे मैं रहूँ
तेरे चरणों में
नित्य लगा रहूँ
ध्यान धरूँ तेरी
जीवन मरण चक्र
बस छूटे मेरा
लेके सुधि मेरी
कर अभिलाषा पूरी
कर्म - शत्रु बीच
नैया मेरी घिरी
ज्ञान ज्योति तेरी
कर आलोकित पथ मेरा
मोक्ष मिले मुझको
ऐसी राह दिखा मुझको
चरणो में लगा मुझको !
सुधीर कुमार ' सवेरा '
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