परिचय
सुधीर कुमार झा ] सवेरा ]
एम , एस , सी , - एल , एल , बी
अधूरी कविता स्मृति
भाग - 1
सुधीर कुमार झा ] सवेरा ]
एम , एस , सी , - एल , एल , बी
अधूरी कविता स्मृति
भाग - 1
अपना क्या परिचय दूँ ?
मैं मूल रूप से एक कवि हूँ
जीवन की विविधताओं को
कर एकात्म जीता हूँ
देख कर मेरा
कोई एक दृष्टिकोण
समझे कोई समझ गया मुझको
दूंगा दोष क्या अपने को या
उसको
लोगों ने तो जिन्दगी में मेरे
कर दिया है अँधेरा
ऐसे नाम है मेरा सवेरा !
सुधीर कुमार झा ] सवेरा ]
गोत्र - शाण्डिल
मूल - शरिसवेखान्गुर
कर एकात्म जीता हूँ
देख कर मेरा
कोई एक दृष्टिकोण
समझे कोई समझ गया मुझको
दूंगा दोष क्या अपने को या
उसको
लोगों ने तो जिन्दगी में मेरे
कर दिया है अँधेरा
ऐसे नाम है मेरा सवेरा !
सुधीर कुमार झा ] सवेरा ]
गोत्र - शाण्डिल
मूल - शरिसवेखान्गुर
ग्राम - पिलSखवार
जिला - मधुबनी
राज्य - बिहार
देश - भारत
पुत्र - श्री कैलाश झा
पौत्र - मुरलीधर झा
प्रपौत्र - सुन्दर झा
- कार्तिकेय झा
- बतहा झा
- पितामही - कामा
पर पितामही - योग माया
- बगरा
माता - विंध्यवासनी देवी
मातामही - शकुंतला देवी
पर मातामही - जानकी देवी
वृद्ध मातामही - पार्वती देवी
- अहिल्या देवी
- सावित्री देवी
ग्राम - समौल
जिला - मधुबनी
दोभित्र - गंगाधर झा
क्षेत्र में मालिक के नाम से जाने जाते थे ] लोगों की श्रद्धा इतनी थी उनके प्रति कि उनके सामने
से कोई जूता चप्पल पहन कर नहीं गुजरता था
] कोई भी फैसला के लिए दूर दूर से लोग उनके पास आते और दुर्गास्थान में अपने अपने को निर्दोष सिद्ध करते परंतु जो दोषी होते उन्हें चौबीस घंटे के अंतर्गत प्राकृतिक दण्ड प्राप्त हो हो जाता था ! उनकी इस देवी शक्ति की ख्याति दूर दूर तक फैली हुई थी !
परदोभित्र - कपिलेश्वर झा
- शोरेलाल झा
दरभंगा महाराज से सात सौ बीघे के इन्हे जमींदारी प्राप्त हुई थी ! ये दरभंगा महाराज के भाई राजा रामेश्वर सिंह के गुरु थे ! ये महान सिद्ध देवी साधक थे ! शक्ति ऐसी थी कि यदि किसी के आगे सर झुक जाये तो उसके सर के दो टुकड़े हो जाये ! इस बात की परीक्षा दरभंगा महाराज के दरबार में हुई थी ! दरभंगा में राजा के द्वारा सिद्ध माँ श्यामा माई की स्थापना करवाई थी !
फेकरन झा - सिद्धेश्वर झा
- महामहोपाध्या दुर्गादत्त झा
जन्म लेते ही इनके मुख से वेद वाक्य निकलने लगे थे ! ये महान सिद्ध साधक थे ! इनके वस्त्र आकाश में सूखते थे ! भोजन की थाल माँ दुर्गा स्वयं देती थी ! ये महान सिद्ध साधक साधक महामहोपाध्या मदन उपाध्याय के गुरु थे ! इन्होने ही समौल में दुर्गास्थान की स्थापना की थी !
गोत्र - भारद्वाज
मूल - बेलौंचे सुदे
पंजीकार - श्री चिरंजीव झा
ग्राम - सौराठ
जिला - मधुबनी
राज्य - बिहार
देश - भारत
पुत्र - श्री कैलाश झा
पौत्र - मुरलीधर झा
प्रपौत्र - सुन्दर झा
- कार्तिकेय झा
- बतहा झा
- पितामही - कामा
पर पितामही - योग माया
- बगरा
माता - विंध्यवासनी देवी
मातामही - शकुंतला देवी
पर मातामही - जानकी देवी
वृद्ध मातामही - पार्वती देवी
- अहिल्या देवी
- सावित्री देवी
ग्राम - समौल
जिला - मधुबनी
दोभित्र - गंगाधर झा
क्षेत्र में मालिक के नाम से जाने जाते थे ] लोगों की श्रद्धा इतनी थी उनके प्रति कि उनके सामने
से कोई जूता चप्पल पहन कर नहीं गुजरता था
] कोई भी फैसला के लिए दूर दूर से लोग उनके पास आते और दुर्गास्थान में अपने अपने को निर्दोष सिद्ध करते परंतु जो दोषी होते उन्हें चौबीस घंटे के अंतर्गत प्राकृतिक दण्ड प्राप्त हो हो जाता था ! उनकी इस देवी शक्ति की ख्याति दूर दूर तक फैली हुई थी !
परदोभित्र - कपिलेश्वर झा
- शोरेलाल झा
दरभंगा महाराज से सात सौ बीघे के इन्हे जमींदारी प्राप्त हुई थी ! ये दरभंगा महाराज के भाई राजा रामेश्वर सिंह के गुरु थे ! ये महान सिद्ध देवी साधक थे ! शक्ति ऐसी थी कि यदि किसी के आगे सर झुक जाये तो उसके सर के दो टुकड़े हो जाये ! इस बात की परीक्षा दरभंगा महाराज के दरबार में हुई थी ! दरभंगा में राजा के द्वारा सिद्ध माँ श्यामा माई की स्थापना करवाई थी !
फेकरन झा - सिद्धेश्वर झा
- महामहोपाध्या दुर्गादत्त झा
जन्म लेते ही इनके मुख से वेद वाक्य निकलने लगे थे ! ये महान सिद्ध साधक थे ! इनके वस्त्र आकाश में सूखते थे ! भोजन की थाल माँ दुर्गा स्वयं देती थी ! ये महान सिद्ध साधक साधक महामहोपाध्या मदन उपाध्याय के गुरु थे ! इन्होने ही समौल में दुर्गास्थान की स्थापना की थी !
गोत्र - भारद्वाज
मूल - बेलौंचे सुदे
पंजीकार - श्री चिरंजीव झा
ग्राम - सौराठ
जिला - मधुबनी
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