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गम मुझे ढूंढ़ रहा
लौ तेरी यादों की
दिल में मेरे जल रहा
मन मेरा कह रहा
तूँ है मेरी मैं हूँ तेरा
जब से बिछुरी है तूँ
विरह के तरप को
सिने से लगा
ये न पूछो
कैसे मैं जी रहा
करवटें बदलते हुए
रात कट जाती है
सुबह के होते ही
बात वही हो जाती है
सब से मैं ये पूछ रहा
छोड़ चली गयी तूँ कहाँ ?
दिल तुझे ढूंढ़ रहा
मर - मर कर भी जी रहा
ओ मेरी जाने जहाँ
न हो तूँ बेवफ़ा
कह दे अब मुझ से
गर हो कोई गिला शिकवा !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 19-06-1980
चित्र गूगल के सौजन्य से
गम मुझे ढूंढ़ रहा
लौ तेरी यादों की
दिल में मेरे जल रहा
मन मेरा कह रहा
तूँ है मेरी मैं हूँ तेरा
जब से बिछुरी है तूँ
विरह के तरप को
सिने से लगा
ये न पूछो
कैसे मैं जी रहा
करवटें बदलते हुए
रात कट जाती है
सुबह के होते ही
बात वही हो जाती है
सब से मैं ये पूछ रहा
छोड़ चली गयी तूँ कहाँ ?
दिल तुझे ढूंढ़ रहा
मर - मर कर भी जी रहा
ओ मेरी जाने जहाँ
न हो तूँ बेवफ़ा
कह दे अब मुझ से
गर हो कोई गिला शिकवा !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 19-06-1980
चित्र गूगल के सौजन्य से
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