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आपको मैं अपना समझूं
ऐसी मेरी तक़दीर नहीं
आपने गर समझा होगा अपना
तो इसके लायक मैं नहीं
समझते हैं दोनों
एक दुसरे की बात
पर किसी की कुछ चल सकती नहीं
दूर रहकर भी हैं आप मेरे पास
जैसे होता है पानी और बूंद का साथ
आपने तो देखा मुझे हँसते हुए
पर मेरे दर्द की आपको थाह नहीं
मेरे वज्र जैसे दिल को भी
पिघला दिया आपके
वो स्नेह - सिक्त भाव
छा गयी है दिल में
आज की आपकी वो विह्वल तस्वीर
उठाने के लिए अब एक टीस
छोड़ गयी है दिल में एक नासूर
हो गयी एक चुक
कर सको तो कर देना माफ़
हो गयी हो गर कोई भूल !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 19-06-1980
चित्र गूगल के सौजन्य से
आपको मैं अपना समझूं
ऐसी मेरी तक़दीर नहीं
आपने गर समझा होगा अपना
तो इसके लायक मैं नहीं
समझते हैं दोनों
एक दुसरे की बात
पर किसी की कुछ चल सकती नहीं
दूर रहकर भी हैं आप मेरे पास
जैसे होता है पानी और बूंद का साथ
आपने तो देखा मुझे हँसते हुए
पर मेरे दर्द की आपको थाह नहीं
मेरे वज्र जैसे दिल को भी
पिघला दिया आपके
वो स्नेह - सिक्त भाव
छा गयी है दिल में
आज की आपकी वो विह्वल तस्वीर
उठाने के लिए अब एक टीस
छोड़ गयी है दिल में एक नासूर
हो गयी एक चुक
कर सको तो कर देना माफ़
हो गयी हो गर कोई भूल !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 19-06-1980
चित्र गूगल के सौजन्य से
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