मंगलवार, 2 दिसंबर 2014

349 .आओ मेरे पास

३४९ 
आओ मेरे पास
मुझे तेरा ही है इंतजार 
तुम न आओगे 
आएगा कौन मेरे पास 
मृदु पवन के ले सहारे 
खुशबु गर नाकों में समाये 
लगे पास ही कहीं 
जुल्फों को खोले 
तूँ खड़ी हो 
या खनक कोई सुनाई दे 
तेरे ही पायल की झनक लगे 
तेरे लोच पूर्ण चालों से 
हवा की लोचकता भी शरमाये 
कोई संगीत 
दिल को छुए 
लगे तेरी हंसी
फिजा में कहीं गूंजे हों 
हर खिलती कलियों पे 
तेरी मुस्कान लहराए 
हर आहट के बाद शांत और खामोश 
तेरे न आने का संकेत 
और इंतजार फिर इंतजार 
कल्पना में डूबते ही 
तेरे आने की आशंका 
और पापी मन की आवाज 
तुम जरूर आओगी 
पर शायद यहाँ नहीं 
जीवन के उस पार !

सुधीर कुमार ' सवेरा ' ११ - ०६ - १९८४ 
९ - ३० am   

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