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श्रीत्रिपुरसुन्दरी
जय शिशु भानु अयुत तेजोमयि श्रीत्रिपुरसुन्दरी देवी।
तीनि भुवन धन्या तोहि सब कह जकर पुरन्दर सेवी।।
कति विधि अतिरत आरत युत तनु बाल कलाकार भाले।
अरुण वसन विलसित तुअ भगवति देवि त्रिलोचन बाले।।
सम सर पास धनुष इषु - दण्डक सृणि शोभित कर चारी।
श्रीयुत चक्र विराजित तुअ पद कमल भक्त भयहारी।।
आगम निगम विदित तुअ महिमा के कहि सक अवसेषी।
तुअ भय जगत भगत भवकारिणि की मत करत विसेषि।।
रत्नपाणि तुअ चरण सरोरुह सभक करिअ अभिलाषे।
मिथिलपतिक सतत करू मंगल की कहब गोचर लाषे।।
( तत्रैव )
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